प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (pradushan par nibandh hindi mein)
प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द |
हमारे पर्यावरण के मुख्य घटक, जैसे भूमि, जल, वायु और मिट्टी के साथ प्रदूषकों के रूप में ज्ञात हानिकारक पदार्थों के मिश्रण को प्रदुषण कहते हैं। इसका पर्यावरण पर खतरनाक प्रभाव पड़ता है और यह हमारे लापरवाह गतिविधियों के कारण उत्पन्न होता है। जैसे-हम अपने घरों तथा कम्पनियों से अपशिष्ट पदार्थ या कचरे को सीधे जल स्रोतों में फेंक देते हैं,वातावरण में धुआं छोड़ना, इसके अतिरिक्त और भी कई कारण है जिसके कारण प्रदूषण फैलता है,ध्वनि प्रदूषण भी प्रदूषण का एक खतरनाक रूप है जिसके कारण कानों को नुकसान पहुंचता है। प्रदूषण विभिन्न प्रकार के होते हैं जैसे-जल-प्रदूषण,वायु-प्रदूषण,मृदा-प्रदूषण और ध्वनि-प्रदूषण,ये सब प्रकृति के प्रति मनुष्य के लापरवाह गतिविधियों का परिणाम हैं। प्रदूषण हमारे पर्यावरण के लिए एक गंभीर समस्या है जो दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहा हैं।
प्रदूषण पर निबंध 10 लाइन
- आज प्रदूषण एक मुख्य समस्या बन गई है।
- प्रदूषण दिन प्रतिदिन फैलती जा रही है।
- बढ़ती हुई जनसंख्या प्रदूषण का मुख्य कारण है।
- प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं जैसे जल प्रदूषण,वायु प्रदूषण,ध्वनि प्रदूषण....इत्यादि
- वायु प्रदूषण प्रदूषण का मुख्य रूप है।
- प्रदूषण मानव गतिविधियों के कारण उत्पन्न होते हैं।
- उद्योगों तथा कंपनियों से निकलने वाली धूआ वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है।
- प्रदूषण के कारण कई प्रकार की खतरनाक बीमारियां होती है।
- प्रदूषण को रोकने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना होगा।
- यदि प्रदूषण को सही समय पर नहीं रोका गया तो यह हमारे अस्तित्व को समाप्त कर सकता है।
प्रदूषण पर निबंध 200 शब्दों में (pradushan par nibandh in hindi)
प्रदूषण हमारे वातावरण में अशुद्ध या अपवित्र पदार्थों की उपस्थिति को दर्शाता है जो जीवित जीवों को नुकसान या परेशानी का कारण होता है। प्रदूषण एक बड़ी समस्या है जो पृथ्वी नमक ग्रह पर रहने वाले सभी प्राणी को प्रभावित करती है।प्रदूषण विभिन्न प्रकार के होते हैं,जैसे वायु प्रदूषण,जल प्रदूषण,मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। इन सभी प्रकार के प्रदूषणों का मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषण वातावरण में हानिकारक गैसों और कणों को मिलने के कारण होता है। यह प्रदूषण सांस की समस्या,फेफड़ों के कैंसर और हृदय का योग का कारण बनता है। जल प्रदूषण रसायनों, सीवेज और कचरे के पानी को जल स्रोतों में मिलने के कारण होता है। जल प्रदूषण मछली और अन्य जलीय जंतुओं को नुकसान पहुँता है, प्रदूषित जल में रहने वाले जीव जैसे-मछली का सेवन कथा दूषित जल का प्रयोग करने से विभिन्न प्रकार के बीमारियां उत्पन्न होती है। मृदा प्रदूषण रसायनों और कचरो को जमीन में छोड़ेने के कारण होता है। यह प्रदूषण फसलों की गुणवत्ता और जमीन की उर्वरकता को प्रभावित करता है और मनुष्यों और पशुओं के लिए स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करता है। ध्वनि प्रदूषण कारों, हवाई जहाजों और औद्योगिक मशीनरी द्वारा उत्पन्न अत्यधिक शोर के कारण होता है। इस प्रदूषण के कारण सुनने में कमी, तनाव और नींद का न आना जैसे समस्या पैदा होती है। प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जिसको कम करने के लिए हम सब और सरकारों को,गंभीर रूप से सोचने की आवश्यकता है। हम सभी को अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अपने दैनिक जीवन में प्रदूषण को कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
प्रदूषण पर निबंध 300 शब्दों में-pradushan kya hai
प्रदूषण एक प्रमुख पर्यावरणीय समस्या है जो पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवित जीव और पुरे पृथ्वी के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है । प्रदूषण हमारे पर्यावरण में हानिकारक पदार्थों की उपस्थिति को बताता है जो पृथ्वी पर आने वाले सभी जीवो के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। प्रदूषण विभिन्न प्रकार के होते हैं जिनमें से कुछ प्रमुख प्रदूषण इस प्रकार के होते हैं जैसे-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। इन सभी प्रदूषणो में से वायु प्रदूषण सबसे ख़तरनाक प्रदूषण है। वायु प्रदूषण मुख्य रूप से औद्योगिक गतिविधियों, परिवहन और जीवाश्म ईंधन के जलने से वातावरण में हानिकारक गैसों और सूक्ष्म कणों के निकलने के कारण होता है। वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा और फेफड़ों के कैंसर जैसी श्वसन संबंधी बीमारियाँ होती हैं, साथ ही साथ वायु प्रदूषण जलवायु को भी प्रभावित करती है।नदियों, झीलों और महासागरों जैसे जल स्रोतों में हानिकारक रसायनों और दूषित पदार्थों को छोड़े जाने के कारण जल प्रदुषण होता है। जिसके कारण जलीय जीवों की मृत्यु हो जाती है और जल मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरा पैदा हो करती हैं क्योंकि दूषित पानी का सेवन करने से हैजा और टाइफाइड बुखार जैसी खतरनाक बीमारियों होती है। जब मृदा में हानिकारक रसायनों और प्रदूषकों को मिलने के कारण,मिट्टी के मौलिक गुणों में किसी भी प्रकार के उत्पन्न दोष को मिट्टी प्रदूषण कहा जाता है जो पौधों और फसलों के विकास को प्रभावित करता है, और यदि दूषित मिट्टी का उपयोग कृषि या निर्माण के लिए किया जाता है तो यह मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है।विभिन्न ध्वनि स्रोतों जैसे- यातायात,निर्माण और औद्योगिक गतिविधियों से उत्पन्न शोर के कारण,ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि प्रदूषण के कारण कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती है जैसे-बहरापन ,साथ ही साथ वन्यजीवन तथा पारिस्थितिक तंत्र को भी प्रभावित करता है। प्रदूषण को दूर करने के लिए, जीवाश्म ईंधन के उपयोग को, कम करना चाहिए और जितना हो सके उतना अधिक स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा दे।, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सख्त नियम बनाएं और लागू करें और प्रदूषण का हमारे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में,लोगों जागरूकऔर शिक्षत करें। प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए नियमों को लागू करने में हम सबको सरकार को मदद करना चाहिए।जैसे उपायों को लागू करना महत्वपूर्ण है। हम सब का कर्तव्य बनता है कि प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए नियमों को पालन करें और प्रदूषण को कम करने में अपना योगदान दें।
प्रदूषण पर निबंध 400 शब्दों में-pradushan kitne prakar ke hote hain
प्रदूषण पर निबंध 400 शब्दों में- |
प्रदूषण,पर्यावरण में हानिकारक पदार्थों या प्रदुषको के कारण उत्पन्न होता है।यह एक वैश्विक समस्या है जो पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतु के जीवन को प्रभावित करता है साथ ही साथ हमारे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है।
प्रदूषण के प्रकार
प्रदूषण विभिन्न प्रकार के होते हैं जैसे-वायु प्रदुषण,जल प्रदुषण, मिट्टी प्रदुषण और ध्वनि प्रदुषण.... इत्यादि। प्रदूषण मुख्य रूप से औद्योगीकरण, परिवहन और अपशिष्ट निपटान जैसी मानवीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न होता है।
वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण,प्रदूषण का सबसे मुख्य रूप है। यह प्रदुषण वातावरण में हानिकारक गैसों और प्रदूषक के कणों को मिलने के कारण होता है। वायु प्रदूषण के प्रदुषको के अंतर्गत कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे हानिकारक पदार्थ शामिल हैं। वायु प्रदूषण से अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी संबंधित बीमारियाँ होती हैं और इसके कारण ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन भी हो सकता है।
जल प्रदूषण
जल प्रदूषण,दूसरा मुख्य प्रदूषण है जो जल स्रोतों में हानिकारक पदार्थों की मिलने के कारण होता है। जल प्रदूषण का प्रदूषक घरों तथा शहरों से निकलने वाला कचरा,औद्योगिक अपशिष्ट, कृषि कचरा और सीवेज हैं। जल प्रदूषण जलीय जीवन को नुकसान पहुँचा सकता है और मानव उपभोग के लिए पानी को असुरक्षित भी बना सकता है।
मृदा प्रदूषण
मृदा प्रदूषण मिट्टी में हानिकारक पदार्थों को मिलने के कारण उत्पन्न होता है। मिट्टी को प्रदूषित करने वाले पदार्थों में औद्योगिक अपशिष्ट, कृषि उर्वरक एवं कीटनाशक हैं। मृदा प्रदूषण से फसल की पैदावार कम होती है,जैव विविधता कम होती है और मानव स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है।
ध्वनि प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण अत्यधिक शोर के कारण होता है जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। यह यातायात,औद्योगिक मशीन और तेज़ संगीत जैसे स्रोतों से उत्पन्न होते हैं। ध्वनि प्रदूषण से श्रवण संबंधित कई हानिकारक बीमारियां जैसे-बहरापन, साथ ही साथ तनाव और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं।
प्रदूषण रोकने के उपाय
प्रदूषण पूरे विश्व के लिए एक खतरनाक समस्या इसे हमें रोकने तथा कम करने की आवश्यकता है। प्रदूषण को कम करने के लिए कई कदम उठा सकते हैं जैसे-वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे खतरनाक गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए निजी वाहनों के बदल ले सर्वजनिक वाहनों का प्रयोग कर सकते हैं। घर तथा शहरों से निकलने वाले कचरे को नदी नाहर जैसे जल स्रोतों में ना फेंके। सरकारें और व्यक्ति पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देकर और कचरे के उत्सर्जन को को कम करके प्रदूषण को कम करने के लिए कदम उठा सकते हैं। ताकि आने वाले पीढ़ी को सांस लेने के लिए स्वस्थ हवा तथा रहने के लिए एक स्वस्थ ग्रह मिल सके।
प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500 शब्दों-pradushan ki samasya par nibandh
दिन-प्रतिदिन प्रदूषण हमारे पर्यावरण और पृथ्वी पर के सभी जीवित प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए एक चिंता का विषय बनता जा रहा है। जिसे रोकना या कम करना पूरे विश्व के लिए एक चुनौती है प्रदूषण का तात्पर्य उन सभी पदार्थों से है जो हमारे वातावरण में मिलकर,वातावरण के मुख्य अवयव जैसे वायु,जल के मौलिक गुण में दोष उत्पन्न करें जिसका प्रभाव पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतु पर पड़ता हैं। प्रदूषण मानवीय गतिविधियों के के साथ-साथ प्राकृतिक घटनाओं के कारण उत्पन्न होते हैं जैसे-ज्वालामुखी, बाढ़ और आंधी.... इत्यादि लेकिन अधिकांश प्रदूषण मानवीय गतिविधियों के कारण ही उत्पन्न होते हैं। प्रदूषण विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं जैसे-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण....इत्यादि वायु प्रदूषण वातावरण में हानिकारक पदार्थ या वायु प्रदूषक के कणो को मिलने के कारण उत्पन्न होता है वायु प्रदूषण के प्रदूषक कारखानों, बिजली संयंत्रों,परिवहन और निर्माण स्थलों सहित विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न होते हैं।वायु प्रदूषण के कारण धुंध,अम्ल वर्षा और श्वसन संबंधित बीमारिया होती हैं। जल प्रदूषण तब होता है जब प्रदूषकों को नदियों, झीलों और महासागरों जैसे पानी के जल स्त्रोतों में छोड़ा जाता है।जल प्रदुषण के प्रदूषक कारखानों, सीवेज उपचार संयंत्रों और कृषि अपवाह जैसे स्रोतों से आ सकते हैं। जल प्रदूषण के प्रभाव पृथ्वी पर आने वाले सभी जीव के लिए विनाशकारी होते हैं, जैसे-जलीय जीवों की मृत्यु,पीने के पानी की कमी होना और कई खतरनाक बीमारियों का फैलना मृदा प्रदूषण मिट्टी में जहरीले रसायनों और पदार्थों की उपस्थिति के कारण होता है। यह खतरनाक कचरे के अनुचित निपटान, कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग और औद्योगिक कचरे के डंपिंग के कारण हो सकता है। मृदा प्रदूषण का कृषि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिसके कारण फसलें खराब हो सकती हैं और फसलों की उपज कम हो सकती है।ध्वनि प्रदूषण पर्यावरण में अत्यधिक ध्वनि स्तर के कारण होता है। यह प्रदूषण यातायात, निर्माण और औद्योगिक गतिविधियों जैसे स्रोतों से उत्पन्न होते हैं। ध्वनि प्रदूषण के प्रभावों से श्रवण हानि, नींद की गड़बड़ी और तनाव जैसी समस्या उत्पन्न होती है। प्रदूषण के कारण श्वसन समस्याओं, हृदय रोग और कैंसर सहित कई स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न होती है। प्रदूषण का वन्यजीवों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण बहुत सी प्रजातियां विलुप्त होती जा रही है। प्रदूषण को कम करने के लिए हमें जीवाश्म ईंधन पर के निर्भरता को कम करना चाहिए और विशेषकर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन करना महत्वपूर्ण है। और कम से कम प्लास्टिक का प्रयोग करना चाहिए। हम प्लास्टिक के उपयोग को कम करके प्लास्टिक से होने वाले सभी पर दुश्मनों को कम कर सकते हैं। कंपनियों तथा कारखानों के चिमनी के मुंह पर बेग फिल्टर जैसे उपकरण का प्रयोग करना चाहिए आभार कृषि क्षेत्र में कम से कम कीटनाशक और उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए। पर्यावरण के अनुकूल पदार्थों का प्रयोग करना चाहिए। उद्योगों और परिवहन से निकलने वाले प्रदूषको को सीमित करने के लिए, संरकार को नियम बनाकर लागू करना चाहिए। प्रदूषण से होने वाले नुकसान से लोगों को जागरूक करना चाहिए। अगर हम एक अच्छा जीवन और स्वास्थ्य चाहते हैं तो प्रदूषण को रोकने के लिए वडा कदम उठाना ही होगा।