वायु प्रदूषण क्या है?(Vayu Pradushan Kya)
परिचय
वायु प्रदूषण,वायु में उत्पन्न होने वाला एक प्रकार का प्रदूषण है जो हवा में पार्टिकुलेटर मैटर में वृद्धि के कारण होता है जिसका हमारे पर्यावरण तथा हम पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है इस आर्टिकल में वायु प्रदूषण के कारण तथा वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के तरीके के बारे में जानेंगे अगर आप वायु प्रदूषण के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।
vayu pradushan ka chitra |
वायु प्रदूषण क्या है हिंदी में (vayu pradushan kya hai in hindi)
वायु गैसों का अदृश्य मिश्रण है जो हमें घेरे हुए है। यह सभी जीवो के लिए आवश्यक हैं जिसका प्रयोग हम सांस लेने में करते हैं और महसूस करते हैं इसमें मुख्य रूप से नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड और आर्गन जैसी अन्य गैसों होते हैं। हम जानते हैं कि वायु किसी भी जीव के लिए आवश्यक है क्योंकि यह हमें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन प्रदान करती है और पृथ्वी पर तापमान को नियंत्रित करने में भी मदद करती है। हम इसे नहीं देख सकते हैं, लेकिन हम इसकी उपस्थिति को हवा के माध्यम से महसूस कर सकते हैं और चलती पत्तियों या पतंग उड़ाने जैसी वस्तुओं पर इसके प्रभाव को देख सकते हैं। हवा हमारे चारों तरफ है, जो चीजों के बीच की खाली जगह को भरती है और हमारे ग्रह का वातावरण बनाती है।
वायु प्रदूषण क्या है (what is air pollution)
वायु प्रदूषण, हवा में उपस्थिति हानिकारक पदार्थों की मात्रा है,जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं। जिन पदार्थों के कारण वायु प्रदूषण होता है उन्हें वायु प्रदूषण कहते हैं। अथवा जब कोई हानिकारक पदार्थ हमारे वातावरण में मिलकर वायु के मुख्य गुण में किसी भी प्रकार का परिवर्तन करता है ,जो हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव डालते हैंं उसेे वायु प्रदूषण कहते हैं।
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वायु प्रदूषण के कुछ मुख्य प्रदूषक इस प्रकार है-
जैसे-
1.पार्टिकुलेट मैटर (PM)
यह वायु प्रदूषण के एक महत्वपूर्ण घटक है और वायुमंडल में तत्विक या अविघट पदार्थों के छोटे अवयवों का समूह है। ये अवयव वायुमंडल में सस्पेंड किए जाते हैं और विभिन्न आकार, प्राकृतिक या मानव-निर्मित मूल्यांकन के आधार पर वर्गीकृत किए जाते हैं।
पार्टिकुलेट मैटर के दो प्रमुख श्रेणियां होती हैं: PM10 और PM2.5. PM10 उन पार्टिकलों को संकेत करता है जिनका आकार 10 माइक्रोमीटर (1 माइक्रोमीटर = 1/1000 मिलीमीटर) या तालिका की मान्यता के अनुसार इससे कम होता है। PM2.5 उन पार्टिकलों को संकेत करता है जिनका आकार 2.5 माइक्रोमीटर या इससे कम होता है। इन पार्टिकलों का आकार बहुत छोटा होने के कारण वे वायुमंडल में आसानी से सस्पेंड हो जाते हैं और अवयविक द्वारा इंगित किए जाते हैं।
पार्टिकुलेट मैटर के मुख्य स्रोत वाहनों, उद्योगों, धूल, धुआं, जल प्रदूषण, औषधि उत्पादन, औद्योगिक प्रक्रियाएं, वनों की आग, और प्राकृतिक घटकों जैसे प्रदूषण पदार्थों से होते हैं।
पार्टिकुलेट मैटर का वायुमंडलीय प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। ये छोटे अवयव विशेष रूप से श्वसन तंत्र तक पहुंचकर उच्च तापमान में निगले जाने के कारण श्वसन रोगों और ह्रदय-रोगों की संभावना को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, ये दृश्यता को कम कर, मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर, जल बिगड़ा सकते हैं, और पर्यावरणीय समस्याओं का कारण बन सकते हैं। पार्टिकुलेट मैटर के प्रमुख प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रयोग में विभिन्न उपाय शामिल हैं, जैसे कि वायु शोधक, धुंए के नियंत्रण, औद्योगिक प्रक्रियाओं के प्रबंधन, और जल्दबाज़ी नियंत्रण आदि।
2. नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx)
नाइट्रोजन ऑक्साइड (Nitrogen Oxides) एक समूह के रूप में पाए जाने वाले रासायनिक यौगिक हैं जो नाइट्रोजन (N) और ऑक्सीजन (O) तत्वों के मिश्रण से बनते हैं। इस समूह में प्रमुख रूप से दो यौगिक शामिल होते हैं: नाइट्रोजन मोनोक्साइड (Nitrogen Monoxide, NO) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (Nitrogen Dioxide, NO2)।
नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्पादन के प्रमुख स्रोत विभिन्न धातुशाला, उद्योग, वाहन चालक प्रणाली, बिजली उत्पादन इकाइयों, जल उपयोग, औद्योगिक प्रक्रियाएं और धूल से होते हैं। वाहनों के धुआं, इंडस्ट्रियल धुएं और जल प्रदूषण आदि के प्रकार नाइट्रोजन ऑक्साइड वायु प्रदूषण का मुख्य कारण हैं।
नाइट्रोजन ऑक्साइड प्रदूषण नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभावों का कारण बनता है। ये वायुमंडलीय ग्रीनहाउस गैसों में भी शामिल होते हैं और जल्दी रिएक्ट होकर तत्विक वायु प्रदूषण का निर्माण करते हैं। नाइट्रोजन ऑक्साइड प्रदूषण अस्थमा, हृदय रोग,श्वसन रोग और दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं उत्पन्न कर सकता है इसके अलावा, ये वायुमंडलीय ऑजोन के उत्पादन का एक प्रमुख कारक है, जो हमारे स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है।
नाइट्रोजन ऑक्साइड के प्रदूषण को कम करने के लिए, वाहन प्रदूषण नियंत्रण, औद्योगिक प्रक्रियाओं में सुधार, प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों का उपयोग और संचार के माध्यम से जनता को जागरूक करने की आवश्यकता होती है।
3.सल्फर डाइऑक्साइड
सल्फर डाइऑक्साइड (Sulfur Dioxide) एक रासायनिक यौगिक है जो एक अवस्था में घातक धूम्रपान का कारक हो सकता है। यह गैस अधिकांश रूप से धातुशाला, उद्योग, उर्जा उत्पादन इकाइयों, वाहन चालक प्रणाली, धूल, औद्योगिक प्रक्रियाएं, और औषधि उत्पादन के प्रक्रियाओं से उत्पन्न होता है।
सल्फर डाइऑक्साइड का मुख्य कारण उच्च गुणवत्ता वाले औद्योगिक इलेक्ट्रिक विद्युत उत्पादन, कोयला और इंधन जलाने के दौरान, धातुशालाओं और उद्योगों के निर्माण प्रक्रियाओं में सल्फर सामग्री का उपयोग, औद्योगिक कीटनाशकों का उपयोग, और कृषि उपयोग के लिए सल्फर उपयोग हो सकता है।
सल्फर डाइऑक्साइड वायु प्रदूषण का मुख्य कारक है और इसका खास प्रभाव वायुमंडलीय ऑजोन और पार्टिकुलेट मैटर के उत्पादन पर होता है। इसके नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव में हावाबाजी, अम्लीय पानी की वृद्धि, पादप और जन्तुओं के स्वास्थ्य पर असर, धातशाला और इंधन की अवस्था में क्षय, जल प्रदूषण, और गड़बड़ आदि शामिल होते हैं।
सल्फर डाइऑक्साइड के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए, सड़क प्रदूषण नियंत्रण, उद्योगी उपकरणों के उपयोग, सल्फर के उपयोग कम करने की कोशिश, और पर्यावरणीय जागरूकता आदि की आवश्यकता होती है।
4.कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
कार्बन मोनोक्साइड (Carbon Monoxide) एक रासायनिक यौगिक है जो कार्बन (C) और ऑक्सीजन (O) तत्वों के मिश्रण से बनता है। यह गैस रंगहीन, अदृश्य और बेस्मित होती है। कार्बन मोनोक्साइड का प्रमुख स्रोत जलाने वाले औद्योगिक प्रक्रियाएं, वाहन चालक प्रणाली, जलाने वाले यंत्र, धुम्रपान और औद्योगिक गतिविधियों होता है।
कार्बन मोनोक्साइड गैस एक जहरीला प्रदूषण है जो हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। यह गैस हमारे श्वसन प्रणाली के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करती है और ऑक्सीजन के रक्त परिसंचरण को प्रभावित करती है। कार्बन मोनोक्साइड हमारे हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) के साथ बंध जाता है और कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन (Carboxyhemoglobin) बनाता है, जो ऑक्सीजन के पर्याप्त परिसंचरण को रोक देता है। इसके कारण, हमारे शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन की कमी होती है और यह स्थिति संगत नहीं होती है।
कार्बन मोनोक्साइड प्रभावित होने पर हमारे स्वास्थ्य पर कई प्रभाव हो सकते हैं। इसका सबसे गंभीर प्रभाव हृदय और श्वसन प्रणाली पर होता है, जिससे अंगीकृत व्यक्तियों में दर्द, थकान, साँस लेने में परेशानी, दिमागी कमजोरी, तनाव, ध्यान विचलितता और गंभीरता जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यदि कार्बन मोनोक्साइड का संपर्क लंबे समय तक जारी रहता है, तो यह जीवनलक्षण दंड (Lethal Dose) तक बढ़ सकता है और जीवन को खतरे में डाल सकता है।
यदि आपको कार्बन मोनोक्साइड के प्रदूषण के संदेह हो तो, तुरंत सुरक्षा क्षेत्र में जाएं, साफ और वेंटिलेटेड स्थान में जाएं, और समर्थन प्राप्त करने के लिए प्राथमिक चिकित्सा सेवा के साथ संपर्क करें।
5.अवाष्पशील कार्बनिक यौगिक
अवाष्पशील कार्बनिक यौगिक एक ऐसा कार्बनिक यौगिक है जो वायु में आसानी से वाष्पीकरण होता है यानी वायु में तेजी से उबलकर वाष्प बन जाता है। इस प्रकार के यौगिक विशेष रूप से उच्च वायुदाब और उच्च तापमान पर आसानी से बनते हैं और वाष्पीकरण के बाद वाष्प रूप में पाए जाते हैं।
ये यौगिक आमतौर पर जल या अन्य उच्च तापमान पर इंजन, उद्योग, विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में उपयोग होते हैं। इनमें कुछ उदाहरण हैं, जैसे मेथेन, एथेन, प्रोपेन, ब्यूटेन और पेंटेन। ये यौगिक वायुदाब, उच्च ऊष्मा संचारक और उच्च तापमान वाले उद्योगों में पेट्रोलियम के उत्पादन, कार, विमान, केमिकल उद्योग, विज्ञान और अन्य अनेक क्षेत्रों में उपयोग होते हैं।
अवाष्पशील कार्बनिक यौगिक वायुमंडल में मौजूद रहते हैं और उच्च तापमान और दबाव के कारण वाष्प बनकर प्रकृति में अस्थायी रूप से मौजूद रहते हैं
6.ओजोन (O3)
ओजोन (Ozone) एक त्रिवर्तीय अक्सीजन (O3) का रूप है, जो वायुमंडल में मौजूद होता है। यह एक तत्विक रेखांकित अणु है जिसमें तीन ऑक्सीजन एटम जोड़े होते हैं। ओजोन का नाम ग्रीक शब्द "ozein" से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है "बदबू देना"।
ओजोन वायुमंडल में महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह सूरज की खारिज होने वाली आप्रदांशिक विकिरण (UV रेडिएशन) का एक महत्वपूर्ण अवरोधक है। यह आप्रदांशिक विकिरण को अवशोषित करता है और धरातल की सतह तक पहुंचने से पहले इसका अधिकांश हिस्सा खत्म हो जाता है। इस प्रकार, ओजोन हमें हानिकारक यूवी रेडिएशन से सुरक्षित रखने में मदद करता है, जो हमारी स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है।
इसके अलावा, ओजोन जल और वायु प्रदूषण के नियंत्रण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विषाणुओं, कीटाणुओं और अन्य कीटकों को मरने में सक्रिय होता है, जिससे वातावरण को साफ़ और सुरक्षित रखने में मदद मिलती है। इसके अलावा, ओजोन उच्च स्तरों पर मानवीय स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और श्वसन तंत्र के रोगों के लिए हानिकारक हो सकता है।
ओजोन एक प्राकृतिक पदार्थ है, जो धरातल की सतह के निकट विद्यमान होता है और विजातीय या प्राकृतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से उत्पन्न होता है। इसके अलावा, अंतरिक्ष यातायात, इंडस्ट्रियल कार्यालयों, वाहनों, उद्योगों और इंजन के धुंए आदि के कारण भी ओजोन उत्पन्न हो सकता है, जो प्रदूषण का कारण बन सकता है।
इन प्रदूषकों का मानव स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जिसमें श्वसन संबंधी समस्याएं, हृदय की समस्याएं और यहां तक कि कैंसर भी शामिल है। वे पारिस्थितिक तंत्र को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं, जलवायु परिवर्तन का नेतृत्व कर सकते हैं और वायु और जल संसाधनों की गुणवत्ता को कम कर सकते हैं।
वायु प्रदूषण से निपटने के प्रयासों में उत्सर्जन को सीमित करने के लिए नियमों और नीतियों को लागू करना, स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना, औद्योगिक प्रक्रियाओं में सुधार करना, स्थायी परिवहन विकल्प अपनाना और वायु प्रदूषण को कम करने के महत्व के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना शामिल है।
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वायु प्रदूषण के प्रकार( Vayu Pradushan ke prakar)
वायु प्रदूषण को प्रदूषकों की प्रकृति और स्रोत के आधार पर कई प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है। यहाँ हम वायु प्रदूषण के कुछ मुख्य प्रकार के बारे में चर्चा करेंगें
1. परिवेशी वायु प्रदूषण: यह बाहरी हवा में मौजूद सभी प्रदूषण को संदर्भित करता है, आमतौर पर यह प्रदूषण, शहरी क्षेत्रों में देखने को मिलता है, और इसमें पार्टिकुलेट मैटर, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूषक शामिल होते हैं।
2. इनडोर वायु प्रदूषण: किसी कारणवश घर स्कूल-कॉलेज दफ्तर तथा कार करखानो के अंदर उत्पन्न वायु प्रदूषण को "इंडोर वायु प्रदूषण" कहते हैं। घरेलू सफाई उत्पाद, निर्माण सामग्री, तंबाकू के धुए, खाना बनाना और हीटिंग वायु पदूषण का मुख्य स्रोत हैं
3. औद्योगिक वायु प्रदूषण:- कारखानों, बिजली संयंत्रों, रिफाइनरियों और विनिर्माण प्रक्रियाओं सहित औद्योगिक गतिविधियों से उत्पन्न को औद्योगिक प्रदूषण कहते हैं । इस प्रदूषण के प्रदूषक के रूप में पदार्थ, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों और जहरीले रसायनों जैसे तथा गैसे शामिल है।
4. वाहन उत्सर्जनः-इंजन से चलने वाले वाहनों से उत्पन्न प्रदूषण को वाहन प्रदूषण कहते हैं वाहनों में जीवाश्म ईंधन जलने से काॅर्बन मोनो ऑक्साइड तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करता है। इस प्रदूषण के प्रदूषण के रूप में कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, के साथ-साथ वाष्पशील कार्बनिक यौगिक, कण पदार्थ और ग्रीनहाउस गैस जैसे प्रदूषक शामिल हैं।
5. कृषि वायु प्रदूषण: कृषि पद्धतियां फसल जलाने, उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग और पशुपालन जैसी गतिविधियों के माध्यम के कारण उत्पन्न वायु प्रदूषण को कृषि वायु प्रदूषण कहते हैं।से वायु प्रदूषण में योगदान करती हैं। कृषि गतिविधियों के कारण अमोनिया, मीथेन और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों वायुमंडल में मिलकर वायु को प्रदूषित करते हैं।
6. इंडोर रेडॉन प्रदूषण: रेडॉन एक रेडियोधर्मी गैस है जो कभी-कभी मिट्टी या चट्टान की नींव के माध्यम से घरों और इमारतों में रिसती है रेडॉन के दोबारा द्वारा उत्पन्न प्रदूषण को " इंडोर रेडॉन प्रदूषण"कहते हैं ।लंबे समय तक रेडॉन के उच्च स्तर के संपर्क में रहने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
7. रासायनिक और औद्योगिक प्रक्रियाएँ: कुछ रासायनिक और औद्योगिक प्रक्रियाएँ, जैसे रासायनिक निर्माण, खनन और तेल शोधन, प्रदूषकों को हवा में छोड़ती हैं। इन प्रदूषकों में जहरीले रसायन, भारी धातु और वाष्पशील कार्बनिक यौगिक शामिल हो सकते हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वायु प्रदूषण के प्रकार ओवरलैप हो सकते हैं, और प्रदूषण के स्रोत अक्सर एक साथ कई प्रदूषकों का उत्सर्जन करते हैं। वायु प्रदूषण को कम करने के प्रयासों में इन विभिन्न प्रकारों और स्रोतों को नियमों, प्रौद्योगिकी प्रगति और जन जागरूकता के माध्यम से संबोधित करना शामिल है।
वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण क्या है
1.बढ़ती हुई जनसंख्या
बढ़ती हुई जनसंख्या वाहनों की मात्रा में वृद्धि के कारण वाहनों के उपयोग में भी वृद्धि का कारण बनती है। अधिक वाहनों के उपयोग से एक्साइड गैसेस, नाइट्रोजन ऑक्साइड, पार्टिकुलेट मैटर, और अन्य वायु प्रदूषक तत्वों का प्रसार बढ़ता है।
जनसंख्या की वृद्धि साथ ही उद्योगिक क्षेत्रों और इंडस्ट्रीज़ के विकास का कारण बनती है। इसके परिणामस्वरूप, उद्योगों से विभिन्न प्रदूषक उद्योगिक धुएं, धूल, रसायनिक यौगिकों का उत्पादन और छोड़ने का मात्रा में वृद्धि होती है।
जनसंख्या की बढ़ती हुई मांग के कारण नए निवासी क्षेत्रों, व्यापार क्षेत्रों, और सार्वजनिक स्थानों का निर्माण होता है। यह आबादी और नगरीयीकरण के साथ-साथ वायु प्रदूषण के स्रोतों में वृद्धि लाता है, जैसे नये निर्माण कार्यों के लिए मटेरियल्स और ऊर्जा की मांग, विभिन्न यातायात माध्यमों का उपयोग, और विभिन्न व्यापार और उद्योग गतिविधियों का विस्तार।
जनसंख्या की वृद्धि के साथ ही खाद्य और उपभोक्ता मांग में वृद्धि होती है। उच्च उपयोग के कारण कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, और खाद्य वितरण में बढ़ोतरी होती है, जो उद्योगिक धुएं, खाद्य छोड़ रसायनिक यौगिकों को बढ़ावा देती है, और परिणामस्वरूप वायु प्रदूषण को बढ़ाती है।
अतःबढ़ती हुई जनसंख्या इस प्रकार वायु प्रदूषण को बढ़ावा देती है।
2 अंधाधुंध वनों की कटाई
अंधाधुन वनों की कटाई के कारण लगता है वृक्षों की संख्या में कमी होती जा रही हैं जिससे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही हैं और ऑक्सीजन की मात्रा दिन-प्रतिदिन घट रही जो प्रदूषण का एक वायु प्रदूषण का कारण है वनों का महत्वपूर्ण योगदान पार्टिकूलेर मैटर तथा धूल के निकाश में होता है वनों की कटाई से भूमि का विघटन होता है जिसके कारण वायु में धुलकण तथा पार्टिकुलेट मैटर की मात्रा बढ़ जाती है
3.उद्योगों की बढ़ती जनसंख्या
उद्योगों की बढ़ती संख्या के कारण उद्योगों से निकलने वाली धुए के साथ निकलने वाली प्रदूषण की मात्रा में बढ़ोतरी है जिससे आज तेजी से वायु प्रदूषण फैल रहा है
4 धुएं
घरेलू ईंधन के जलने और उद्योगों कंपनियों तथा विद्युत संयंत्र से निकलने वाली धूए में हाइड्रोकार्बन डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड शामिल होते हैं जो वायु प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण प्रदूषक है।
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वायु प्रदूषण के प्रभाव
1.स्वास्थ्य समस्याएं
वायु प्रदूषण के प्रभाव के कारण कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती है जिसमें शासन तथा हृदय संबंधित रोग प्रमुख हैं। वायु प्रदूषण के कारण पिछले तीन-चार सालों में फेफड़ों का कैंसर का मामला लगातार बहुत तेजी से बढ़ रहा है अधिक हवाई प्रदूषित क्षेत्र में रहने वाले छोटे बच्चों में निमोनिया जैसे खतरनाक बीमारियां देखने को मिलती है।
2.ग्लोबल वार्मिंग
जब ग्रीन हाउस निकलने वाली गैसे वायुमंडल में मिलकर वायु की गैस संरचना में असंतुलन उत्पन्न करता है जिसके कारण समस्त पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है और हिमालय पर उपस्थित ग्लेशियर भी एक पिघलने लगते हैं कई प्रकार की प्रकृतिक असंतुलन उत्पन्न होता है जिसे ग्लोबल वार्मिंग के नाम से जाना जाता है।
3.अम्लीय वर्षा
जीवाश्म ईंधन के जलने के कारण कई प्रकार की खतरनाक गैसे का उत्सर्जन होता है जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड तथा सल्फर ऑक्साइड जो बादलों के साथ संगठित होकर वर्षा की बूंदों के रूप में पृथ्वी पर गिरते हैं जिसे अम्लीय वर्षा कहा जाता है अम्लीय वर्षा के कारण ऐतिहासिक इमारतों के रंग का क्षेय होता है और फसलों में भी कई प्रकार की समस्याएं देखने को मिलती हैं।
4.ओजोन परत का ह्रास
वायुमंडल में क्लोरोफ्लोरोकार्बन तथा हैलिन के उत्सर्जन के कारण ओजोन परत का ह्रास होता है ओजोन परत वायुमंडल में उपस्थित गैसों का एक परत है जो सूर्य से आने वाली खतरनाक पारा में नीच के गुणों से पृथ्वी की सुरक्षा प्रदान करती है किसी भी सतह पर पारा में नहीं पड़ने पर स्किन कैंसर की समस्या उत्पन्न होती है।
जानवरों पर वायु प्रदूषण का प्रभाव
जानवरों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप दोनों से प्रभावित करता है वायु प्रदूषण का प्रभाव जानवरों के वस्त्र आहार संसाधन और जन्म तथा जानवरों के जीवन के गतिशीलता पर पड़ता है
वायु प्रदूषण क्या है इसे कैसे काम किया जा सकता है(vayu pradushan kya hai ise kaise kam kiya ja sakta hai)
सर्वजनिक वाहनों का प्रयोग करना
वाहनों का कम प्रयोग करना चाहिए छोटी दूरी के लिए वाहनों का प्रयोग करना चाहिए एक जगह वाहनों से से दुसरे जगह जाने के लिए व्यक्तिगत वाहनों के बजाय सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करना चाहिए। वायु प्रदूषण को रोकने में लाभदायक सिद्ध हो हो सकता है। वाहनों का कम प्रयोग करने से वायु प्रदूषण कम होने के साथ-साथ ऊर्जा का संरक्षण भी होता है।
ऊर्जा संरक्षण
हम जानते हैं कि बिजली के उत्पादन के लिए अधिक मात्रा में जीवाश्म ईंधन को जलाया जाता है अंत और बिजली के दुरुपयोग को करके कम करके वायु प्रदूषण को कम करने में व्यक्तिगत रूप से प्रयास कर सकते हैं क्योंकि जितना ही कम बिजली का उत्पादन होगा उतना ही कम वायु प्रदूषण फैलेगा।
LPG गैस का प्रयोग
खाना बनाने में उपयोग किए जाने वाले जीवाश्म ईंधन के बदले अधिक से अधिक एलपीजी (LPG)का प्रयोग करें।
प्राकृतिक ऊर्जा का प्रयोग
सौर,पवन तथा भूमिगत ऊर्जा का प्रयोग करके वायु प्रदूषण को बड़े स्तर पर कम किया जा सकता है भारत के साथ-साथ अन्य कई देश वायु प्रदूषण को कम करने के लिए इन ऊर्जा का प्रयोग कर रहे हैं।
CNG)का प्रयोग
वायु प्रदूषण को रोकने के लिए, वाहनों में प्रयोग किए जाने वाले जीवाश्म ईंधन के बदले सीएनजी(CNG)का प्रयोग करना चाहिए
Conclusion
वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है जो हमारे पर्यावरण को खतरा पहुंचाती है। इस समस्या से निपटने के लिए हम सभी का सहयोग आवश्यक है। हमें अपने घर, समाज के नागरिक और सरकार द्वारा मिलकर काम करना होगा, ताकि वायु प्रदूषण की समस्या जल्दी हल हो सके। हमें अपनी भावनाओं में सुधार करने की शुरुआत करनी चाहिए ताकि हमारी आगामी पीढ़ी प्रदूषण से दूर रह सके।
वायु प्रदूषण से संबंधित पूछे जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
1.वायु प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?
वायु प्रदूषण का मुख्य कारण जीवाश्म ईंधन के जलने तथा उद्योनगों तथा कंपनियों के धुआओं के साथ निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड कार्बन मोनोऑक्साइड तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे हानिकारक गैसें हैं जो वायु प्रदूषण को मुख्य प्रदूषक होते हैं।
2.वायु प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग का कारण कैसे बनता है?
ग्रीन हाउस से निकलने वाली गैस वायुमंडल में उपस्थित वायु की संरचना में परिवर्तन करता है जिसके कारण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होता है जिससे हिमालय पर उपस्थित हमारा ग्लेशियर पिघलने लगता है और कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं उत्पन्न होती है
3.अम्ल वर्षा क्या है? अम्लीय वर्षा के लिए उत्तरदायी गैसों के नाम लिखिए।
जब हानिकारक गैसों के कान बादलों के साथ संगठित होकर पृथ्वी पर वर्षा के बंदूक के रूप में गिरते हैं तो उसे अम्लीय वर्षा कहा जाता है किसी भी युवा सिग्नल के जलने से निकलने वाली हानिकारक है। जैसे- सल्फर ऑक्साइड तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड,अम्लीय वर्षा का कारण है
4.वनों की कटाई वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। व्याख्या करें।
जब बड़े पैमाने पर जंगलों या अन्य भूमि से पेड़ों को काटा जाता है, तो इससे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) बढ़ता है। ये पेड़ वातावरण से CO2 को अवशोषित करते हैं। इसलिए, जंगलों की कटाई के कारण पेड़ों की संख्या कम होती जा रही है जो वातावरण में CO2 की मात्रा को बढ़ाता है और वायु प्रदूषण होता है।
5.सबसे अधिक वायु प्रदूषित देश कौन सा है?
चाड विश्व का सबसे प्रदूषित देश है 2022 के ग्रीनविच रिपोर्ट के अनुसार इसमें 89.7 अंक वायु प्रदूषण है जो उत्तर मध्य अफ्रीका में फैला एक बड़ा स्थलरउध्द देश है जिसका क्षेत्रफल 1,284,000km2 है।
6.सबसे कम वायु प्रदूषण वाले देश कौन हैं?
डेनमार्क विश्व का सबसे कम प्रदूषण वाला देश है यहां के के लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए व्यक्तिगत वाहनों की वजह साइकिल या सर्वजनिक वाहन का प्रयोग करते हैं।
7.भारत का सबसे अधिक वायु प्रदूषित वाला राज्य कौन है?
महाराष्ट्र भारत का सबसे अधिक वायु प्रदूषण वाला राज्य है यहां लगता है 5 सालों से वायु प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है।
8.भारत का सबसे कम प्रदूषण वाला राज्य कौन सा है?
मेघालय और मिजोरम भारत के सबसे कम वायु प्रदूषण वाले राज्य हैं।